Tuesday, February 26, 2008

वसंत

कूंकी कोयल बोली आया है वसंत
झूम झूम मंजर बोले
हाँ हाँ आया है वसंत
सिर हिला हिला
पीपल ने भी भरी हामी
बरगद क्यों पीछे रहता
आगे बढ़ उसने दी सलामी
नीम की फुनगी थी नाज़ुक
अभी अभी उस पर उतारा था रूप
वो ख़ुद थी गवाह,
आया है वसंत .

2 comments:

Arpita said...

वो खुद थी गवाह..काश मन का वसन्त में था कभी आये ही न...तो जीवन मह्कता रहेगा..

पारुल "पुखराज" said...

vaah!