कूंकी कोयल बोली आया है वसंत
झूम झूम मंजर बोले
हाँ हाँ आया है वसंत
सिर हिला हिला
पीपल ने भी भरी हामी
बरगद क्यों पीछे रहता
आगे बढ़ उसने दी सलामी
नीम की फुनगी थी नाज़ुक
अभी अभी उस पर उतारा था रूप
वो ख़ुद थी गवाह,
आया है वसंत .
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2 comments:
वो खुद थी गवाह..काश मन का वसन्त में था कभी आये ही न...तो जीवन मह्कता रहेगा..
vaah!
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